गौतम बुद्ध से जुड़ी कई कहानियाँ हैं, और हर कहानी के पीछे कुछ न कुछ शिक्षा होती है। ऐसी ही एक Buddha Story on Love हम लेकर आए हैं, जिसे पढ़कर आप जानेंगे कि सच्चा प्यार क्या होता है।
आज की युवा पीढ़ी प्यार तो करती है, लेकिन वह यह नहीं समझती कि प्यार होता क्या है। आज के युवाओं के लिए प्यार का मतलब ऑनलाइन चैट करना, वीडियो कॉल करना, इधर-उधर घूमना या फिर शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति करना मात्र है।
आज के समय में प्रेम का मतलब त्याग या अपनापन नहीं, बल्कि शरीर की ज़रूरत अधिक हो गया है। सच्चे प्रेम की परिभाषा क्या होती है, आइए जानते हैं इस छोटी सी कहानी से।
Buddha Motivational Story on Love
एक बार की बात है, गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठकर ध्यान कर रहे थे। उनका एक प्रिय शिष्य था जिसका नाम आनंद था, वह बुद्ध के पास आया। उसके चेहरे पर गहरी चिंता थी।
आनंद ने बुद्ध से कहा, “भगवान, मैं बहुत परेशानी में हूँ। मुझे एक लड़की से प्रेम हो गया है। मैं उसके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन मैं आपके उपदेशों को भी नहीं छोड़ सकता। मैं अपने प्रेम और आपकी शिक्षा के बीच फंसा हुआ महसूस कर रहा हूँ। कृपया मुझे बताएं कि सच्चा प्रेम क्या होता है और इसकी क्या परिभाषा है?”
गौतम बुद्ध ने कहा, “आनंद, प्रेम क्या है इसे अच्छी तरह से जानने और समझने के लिए मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।”
वो दोनों एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गए। बुद्ध ने शांत स्वर में कहना शुरू किया, “बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का और लड़की थे। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे। दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया था कि वे कभी एक-दूसरे को छोड़कर नहीं जाएंगे और जीवन भर साथ निभाएंगे।
लेकिन कुछ समय बाद अचानक लड़की बहुत बीमार हो गई, जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना से लड़का बहुत दुखी हुआ। उसने सोचा कि वह अब इस दुनिया में अपने प्रेम के बिना जी नहीं सकता। वह हर समय अपनी प्रेमिका की याद में खोया रहता।”
खुद को इस दुख से दूर करने के लिए एक दिन उस लड़के ने आत्महत्या करने की सोची और वह जंगल की तरफ चला गया। इससे पहले कि वह कुछ करता, एक संत की नज़र उस पर पड़ गई। वह संत उस जगह पर ध्यान कर रहे थे। वो जल्दी से उस लड़के के पास आए और उससे पूछा, “तुम इस वीराने जंगल में क्या कर रहे हो? ना तुम साधु लगते हो और ना ही कोई बाबा?”
लड़के ने उन्हें अपनी दर्द भरी कहानी सुनाई।
उसकी बातें सुनकर संत ने मुस्कराते हुए कहा, ‘यदि तुम्हारा प्रेम सच्चा होता, तो तुम उसकी मृत्यु के बाद भी उसकी खुशी के लिए प्रार्थना करते, ना कि अपने जीवन को समाप्त करने की सोचते।
सच्चा प्रेम वह होता है, जिसमें सिर्फ पाने की इच्छा नहीं होती, बल्कि दूसरों की खुशी के लिए त्याग करने की भावना होती है। प्रेम का मतलब किसी से दूर होकर मर जाना नहीं होता, बल्कि उनकी यादों के सहारे जीवन को जीना होता है।”
संत की बातों से लड़के को एहसास हुआ कि सच्चा प्रेम मोह और स्वार्थ से परे होता है। उसने अपनी प्रेमिका की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और उसे सच्चे प्रेम की समझ आई।”
बुद्ध ने आनंद की ओर देखा और कहा, “आनंद, सच्चा प्रेम वह है जो स्वार्थ से परे हो, जो देने में विश्वास रखे, ना कि केवल पाने में। जब तुम किसी से सच्चा प्रेम करते हो, तो तुम उसकी खुशी में अपनी खुशी ढूंढ़ते हो। सच्चा प्रेम स्वतंत्रता देता है, बंधन नहीं।”
उम्मीद है कि यह Buddha motivational story on love से आपको कुछ अच्छा सीखने को मिला। ऐसी और भी प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ने के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।