दोस्तों, यह बात तो आप जानते ही हैं कि सच हमेशा कड़वा होता है। आज की पोस्ट में हम जानेंगे कि सच आखिर कड़वा होता क्यों है? यह झूठ की तरह मीठा क्यों नहीं होता। झूठी बातें या झूठी तारीफों को सुनने में कितना मजा आता है लेकिन उसके उलट सच सुनने में मजा क्यों नहीं आता, सच सुनने में बुरा क्यों लगता है।
झूठ की तरह हम सच को आसानी से सुन क्यों नहीं पाते? क्यों हमें सच्चाई बुरी लगती है? चलिए आज इस बात को थोड़ा अच्छे से समझते हैं। सत्य यानी की सच्चाई यह ऐसी शक्ति है जो हमेशा अटल और अपरिवर्तित रहती है। सच को हम बदल नहीं सकते बस हम इसे छुपाने की कोशिश कर सकते हैं और यह जानने के बावजूद भी हमें इसे स्वीकार करने में बहुत कठिनाई महसूस होती है।

Why is the truth bitter in Hindi
यह बात बहुत आम है कि सच कड़वा होता है लेकिन हम जानेंगे कि ऐसा होता क्यों है, क्यों लोग झूठी मीठी बातों को जल्दी स्वीकार कर लेते हैं लेकिन कड़वे सत्य को स्वीकार करना उन्हें मुश्किल पड़ता है। चलिए कुछ उदाहरण की मदद से हम इस बात को समझते हैं।
1- सच कठोर होता है।
सच को स्वीकार करना कभी भी सरल नहीं होता, सच हमारी भावनाओं, अपेक्षाओं और भ्रम के उलट होता है. हम लोग अपने मन में एक ऐसी दुनिया बना के चलते हैं जहां हम वही देखना और सुनना पसंद करते हैं जो हमें अच्छा लगता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति या कोई बात हमारी इस काल्पनिक स्थिति की दुनिया को तोड़ती है और असलियत को सामने लाती है, तो वह बात हमें कड़वी महसूस होती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को यह बताया जाए कि उसकी मेहनत में कमी है और उसे बेहतर करने की जरूरत है, तो उसे यह बात बुरी लगेगी, भले ही यह सत्य हो। लेकिन वो व्यक्ति यह सुनना नहीं चाहता क्योंकि अपने मन की दुनिया में वो ये सोचता है कि उसकी जैसी मेहनत कोई दूसरा कर ही नहीं रहा, वो चाहता है कि उसे उसकी कम मेहनत के लिए भी सराहा जाए, क्योंकि वो सुनने में और मन को अच्छा लगता है।
2- झूठ का मीठापन और भ्रम
सत्य की अपेक्षा झूठ मीठा लगता है क्योंकि यह हमारी इच्छाओं और भावनाओं को संतुष्ट करता है. लोग अपनी तारीफ सुनना पसंद करते हैं फिर चाहे वह झूठी क्यों ना हो। झूठी बातें हम सभी को अच्छी लगती हैं जो कि एक भ्रम होता है. झूठ कभी भी ज्यादा दिनों तक चलता नहीं, सच सामने आ ही जाता है। झूठ का मीठापन इतना ज्यादा होता है कि वह सच को दबा देता है।
मान लो कोई लड़की ज्यादा सुंदर नहीं है और यह बात वह खुद भी जानती है लेकिन फिर भी कोई लड़का उसे इंप्रेस करने के लिए बार-बार यह बोले कि ‘वह बहुत सुंदर है’ तो वह लड़की अपनी सच्चाई को भूलकर लड़के की बातों में आ जाती है और इंप्रेस हो जाती है जबकि वह यह बात खुद भी जानती है कि वह इतनी सुंदर नहीं है जितना कि उसे बना दिया गया है लेकिन झूठ है, सुनने में अच्छा लगता है, खुद को बदसूरत कहना और सुनना कोई पसंद नहीं करता और झूठ का यही मीठापन इंसान को भ्रम में डाल देता है। और जब इंसान इस भ्रम से बाहर निकलता है और सच्चाई से रूबरू होता है तो उसे सच कड़वा ही लगता है।
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3- झूठ का बोलबाला
सामाजिक पहलू पर बात करें तो झूठ का बोलबाला बहुत है. किसी भी राजनेता, किसी भी संस्था, किसी भी व्यक्ति को आप देख लें, वह अपना काम निकालने के लिए सच से ज्यादा झूठ बोलता है. जिस तरह चुनाव में वोट लेने से पहले कई वादे किए जाते हैं और चुनाव जीतने के बाद उनमें से कुछ ही वादे पूरे हो पाते हैं. यह बात आम जनता भी अच्छे से समझती है लेकिन झूठ का बोलबाला इतना है कि लोग उस बात को सच मानते हैं और वोट देने चले जाते हैं.
फिर बाद में जब वादे पूरे नहीं होते तो लोग बोलते हैं कि यह नेता भी झूठ बोलकर अपना काम निकाल गया। इसी तरह कई लोग अपने रिश्ते बचाने और दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं. अपने आप को इस तरह दिखाते हैं कि उनसे बड़ा धनी या उनसे बड़ा समाजसेवी कोई है ही नहीं। दोस्तों, झूठ का बोलबाला जब तक चलता है तब तक सब सही रहता है लेकिन जब सच सामने आता है तो झूठ खत्म होता है और सच फिर कड़वा हो जाता है।
4- सच कड़वा उनको लगता है जो झूठ का सहारा लेते हैं और बातों को छुपाते हैं, फिर जब सच सामने आता है तो वह अपने झूठ में अड़े रहते हैं, बार-बार सच्चाई बताने के बाद भी वह इस बात को स्वीकार नहीं करते और अपने झूठ को सच साबित करने में लगे रहते हैं और जब वह अपने झूठ को सच साबित नहीं कर पाते हैं तो उन्हें सबके सामने शर्मिंदा होना पड़ता है जो कि एक बहुत ही अपमानजनक स्थिति होती है।
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सच कड़वा क्यों होता है पर निष्कर्ष
सत्य या सच्चाई इसलिए कड़वी लगती है क्योंकि वह इंसान को खुश नहीं रखती क्योंकि सच को स्वीकारना मुश्किल होता है। ऐसा व्यक्ति जो बार-बार झूठ बोलता है वह अपनी एक ऐसी दुनिया में रहता है जहां से वह बाहर निकलना नहीं चाहता, हम अपनी इच्छाओं और भ्रम में जीना पसंद करते हैं। सच्चाई को स्वीकार करना आसान नहीं होता और हमें झूठ के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। हमेशा सत्य बोलना चाहिए।
सच बोलने के फायदे भी हैं- सच बोलने वाला व्यक्ति हमेशा सकारात्मक रहता है और वह निडर भी होता है। झूठ बोलने वाला हर परिस्थिति में डरता रहता है क्योंकि उसे पता है कि उसने जो कहा है वह झूठ है और झूठ कभी भी पकड़ा जा सकता है। सच बोलने वाला व्यक्ति जानता है कि जो है वह सच है और उसे बदला नहीं जा सकता इसलिए झूठ का सहारा ना लें। झूठ सुनने में अच्छा लगता है, झूठ से काम जल्दी होते हैं लेकिन सत्य बाहर आ ही जाता है इसलिए सत्य कड़वा है लेकिन अच्छा है।
उम्मीद है सच कड़वा क्यों होता है (why is the truth bitter) की हमारी ये पोस्ट आपको पसंद आई हो। ऐसी और भी जानकारी के लिए इस ब्लॉग से जुड़े रहें।