8 Short Motivational and Inspirational Stories for Success

किसी भी काम में सफल होने के लिए जितना जरूरी मेहनत करना होता है, उतना ही जरूरी होता है उस काम को करने के लिए हमारे अंदर मोटिवेशन का होना। बहुत से लोग जो मोटिवेशन के बारे में नहीं जानते, इस चीज को नजरअंदाज करते हैं।

उन्हें लगता है कि सफलता पाने के लिए मोटिवेशन की कुछ आवश्यकता नहीं होती, बस मेहनत करते जाओ, सफलता मिलती जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। मोटिवेशन, वो ड्राइव है जो हमें हमारे Aim को Achieve करने में मदद करती है।

हम लगातार बिना किसी रिवार्ड के मेहनत नहीं कर सकते। जब हम किसी चीज की शुरुआत करते हैं तो उसमें असफल होना एक आम सी बात है और जब हम असफल होते हैं तो कई बार हमारा कॉन्फिडेंस लेवल गिर जाता है।

हम उस काम को फिर दोबारा शुरू ही नहीं करते। दोस्तों, हमारे कॉन्फिडेंस को बनाए रखती है मोटिवेशन। Motivation हमें जज़्बा देती है कि हमें हार नहीं माननी है और लगातार मेहनत करते जाना है।

इसलिए आज की इस Motivational Stories for Success में हम आपके लिए कुछ ऐसी मोटिवेशनल कहानियां लेकर आए हैं जो आपको जीवन में कुछ बड़ा करने और कुछ अचीव करने में मदद करेंगी। इन प्रेरणादायक कहानियों से आप सफलता के प्रति प्रेरित रहेंगे और अपने गोल को आसानी से अचीव कर पाएंगे।

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1- The Reason of Our Failure (Success Motivational Story)

ये कहानी ऐसी company की है जिसका मुनाफा घटता जा रहा था। उस company का मालिक और employee इस बात से काफी परेशान थे क्योंकि Company की Growth के साथ-साथ उनकी Growth भी रुकी हुई थी।

एक दिन morning meeting के दौरान उस company के मालिक ने सभी employees को बताया कि, “कल रात उस Employee की मृत्यु हो गई, जिसकी वजह से इस company को नुकसान हो रहा था और हमारी growth नहीं हो पा रही थी। शोक मनाने के लिए हम सभी 1 घंटे बाद Auditorium में मिलेंगे।”

ये बात सुनकर employees दुखी तो थे लेकिन वो खुश भी थे…दुखी इसलिए थे क्यूंकि उन्हीं के साथ का अब इस दुनिया में नहीं रहा और खुश इसलिए थे क्योंकि वह व्यक्ति नहीं रहा जिसकी वजह से उनकी कंपनी को नुकसान हो रहा था, कंपनी की ग्रोथ नहीं हो पा रही थी। वह सभी यह जानने के लिए भी उत्सुक थे कि आखिर वह व्यक्ति था कौन।

अपनी उत्सुकता को कम करने के लिए थोड़ी देर बाद सभी employees ऑडिटोरियम में पहुंच गए। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि ऑडिटोरियम के बीचो-बीच एक बड़ा सा कॉफिन रखा हुआ है और बारी-बारी से सभी employees को उस व्यक्ति को देखने का मौका भी दिया जा रहा है,

लेकिन जब भी कोई employee उस Coffin के अंदर देखता तो वो मायूस हो जाता और सर नीचा करके वहां से निकल जाता…क्यूंकि उस कॉफिन के अंदर एक आइना रखा हुवा था, जो भी उसके अंदर झांकता तो उसे उसमें अपना ही चेहरा दिखाई देता।

उस कॉफिन में खुद के ही चेहरे को देखकर हर employee यह बात समझ गया कि उस कंपनी की ग्रोथ किसी और कि नहीं बल्कि उन्हीं लोगों की वजह से कम हो रही है जो उस कंपनी में कार्य करते हैं।

सीख जो हमें इस सफलता की प्रेरणादायक कहानी से मिलती है:

हमारी success और Failure का कारण कोई और नहीं बल्कि हम खुद हैं। ये बात मायने नहीं रखती की आप किसी Company के लिए काम करते हैं या फिर आपकी खुद की Company है। फर्क इस बात से पड़ता है की आप अपने काम को कितनी लगन और मेहनत से करते हैं।

जब हम कामचोरी करना शुरू कर देते हैं तो इसका असर सिर्फ हमारी growth पर नहीं पड़ता बल्कि उन सब की ग्रोथ पर भी पड़ता है जो उस काम से जुड़े हुए होते हैं।

अगर किसी Company में हर कोई व्यक्ति कामचोर हो जाये तो वह Company कभी Growth ही नहीं कर सकती और ठीक इसी तरह अगर हम खुद के कामों में भी कामचोरी करेंगे तो हम खुद भी कभी Life में Growth नहीं कर पाएंगे। अगर Life में आपको Successful होना है तो अपने काम के लिए खूब मेहनत करिये, कामचोरी मत करिये, और हमेसा 100% Effort करिये।

2- जीतने की उम्मीद कभी हारने नहीं देती (Story for Success in Life)

एक बार एक Racing Compitition हो रहा था और रेस का Last Round था। जो Racer सबसे तेज, सबसे आगे दौड़ रहा था वो अचानक गिर गया और बांकी Racers से पीछे हो गया. उस Racer को गिरता हुवा देख Commnetator बोला, “अब ये रेस नहीं जीत पायेगा और ना ही First आ पायेगा ”.

उस रेसर के कानों में जैसे ही कमेंटेटर के यह शब्द पड़े तो उसने मन ही मन खुद से कहा, “यह रेस अभी खत्म नहीं हुई है, मैं सिर्फ गिरा हूं लेकिन हार नहीं।” वह उठा और उसने अपनी पूरी ताकत से दौड़ना शुरू किया. दौड़ते दौड़ते वह 2nd आया और रेस जीत गया।

ये short inspirational tory हमें सिखाती है कि जब तक उम्मीद है तब तक कोई इंसान हार नहीं सकता। इस बात से फर्क नहीं पड़ता की आप First आयें या Last। जरुरी है वो उम्मीद जो आपको जिंदगी की रेस में हर वक़्त दौड़ने पर मजबूर करे। जो भी काम हम करते हैं उसमें सफलता पाना ही हमारी जीत होती है।

बहुत से लोग हमसे आगे रहेंगे, बहुत से हमसे पीछे भी रहेंगे। लेकिन हमारा Competition उन लोगों से नहीं बल्कि खुद से है। हमें अपनी लाइफ की रेस में गिरना भी है, सम्भलना भी है और अपनी जीत की उम्मीद को हमेसा बनाये रखना है।

3- Comfort Zone (Safalta Ki Prernadayk Story)

एक बार एक व्यक्ति सर्कस में हाथियों का खेल देखने गया। जब वह व्यक्ति वहां से बाहर आ रहा था तो उसने देखा कि सर्कस के बाहर एक ट्रेनर एक बड़े से हाथी को पतली सी रस्सी के सहारे, छोटे से लकड़ी के पोल में बांध रहा है।

यह सब देखकर वह व्यक्ति थोड़ा हैरान हो गया और हैरानी भरी आवाज में उसने ट्रेनर से पूछा, “तुम ये क्या कर रहे हो? इतने बड़े हाथी को एक छोटे से लकड़ी के पोल से बांध रहे हो। इस विशालकाय हाथी की ताकत के आगे तो यह कुछ भी नहीं है। ये जब चाहे अपनी मर्जी से एक झटके में इसे तोड़कर यहां से भाग जाएगा।”

यह सुनकर ट्रेनर बोला, “श्रीमान, जब यह हाथी छोटे थे, उनकी ताकत कम थी। तब भी हम इन्हें ऐसे ही एक पतली रस्सी के सहारे छोटे से लकड़ी के पोल में बांध देते थे। ताकत कम होने की वजह से यह बहुत कोशिश करते लेकिन रस्सी को तोड़ नहीं पाते थे।धीरे धीरे इन्होने ये मान लिया की ये रस्सी इनसे ज्यादा मज़बूत है, और इन्होने आज़ाद होने की कोशिश करना ही छोड़ दिया। अब ये रस्सी ही इनका comfort zone है जिससे ये खुद को बाहर निकालने की कोशिश ही नहीं करते।”

ये सफलता की छोटी सी कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में अगर success पानी है तो हमें अपने comfort zone से बाहर निकलना होगा। कई लोग आपने देखे होंगे जो बिजनेस में रिस्क नहीं लेना चाहते, जिस काम को हमेशा से करते आ रहे हैं वही करते रहना चाहते हैं। कुछ लोग आपने ऐसे भी देखे होंगे जो नौकरी करने के लिए घर से बाहर ही नहीं निकलते या उसी एरिया में नौकरी करना चाहते हैं, जहां वह रहते हैं, फिर भले ही उन्हें सैलरी कम मिले।

दोस्तों, ये सब हमारे कंफर्ट जोन्स हैं, हमें खुद भी ये पता होता है कि हमें इससे बाहर निकलकर सफलता मिलेगी, फिर भी हम उससे बाहर नहीं निकालना चाहते क्योंकि हम दूसरों की देखा देखी करते हैं और वही घिसी पिटी जिंदगी को जीना चाहते हैं जो हमारे आस पास के लोग जी रहे होते हैं। इसलिए, अगर जिंदगी में कुछ achieve करना है तो अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलें।

4- Over-confidence (Motivational Story for success)

ये कहानी है रोहन नाम के एक लड़के की, रोहन अपने गांव का सबसे Best Racer था। उसके गांव में या उसके आसपास के गांव में होने वाली सभी रेस रोहन जीत चुका था। जिस वजह से उसे खुद पर बहुत विश्वास था। उसे हमेशा लगता था की कोई उसे हरा नहीं सकता और यह सच भी था क्यों की रोहन दूसरों से बहुत तेज दौड़ता था और काफी फुर्तीला भी था।

हर साल की तरह गांव में फिर एक बार Racing competition रखा गया। लेकिन इस बार रेसिंग ट्रैक को गांव से ना ले जाकर जंगल की तरफ से ले जाया गया।

रेस शुरू होने से पहले सभी Racers को ये बोला गया की आप सभी जाकर रेसिंग ट्रैक को अच्छे से देख सकते हैं। रोहन को खुद पर भरोसा था कि वह तेज दौड़ता है, ट्रैक भले ही जंगल से क्यों ना हो फिर भी वो रेस जीत जाएगा। उसने सोचा क्यों अपना Time Waste करना और वह रेस की तैयारी में लग गया।

Competition वाला दिन आ गया, रेस शुरू हुई और हर बार की तरह इस बार भी रोहन सबसे आगे निकल गया लेकिन कुछ दूर जाते ही रोहन का पैर फिसला और वह नीचे गिर गया जिसकी वजह से उसके पैर में मोच आ गई। जंगल का ट्रैक ज्यादा नमी होने की वजह से फिसलन भरा हो गया था, जिसकी वजह से रोहन उसमें फिसल गया।

मोच आने की वजह से रोहन अपनी रेस कंप्लीट नहीं कर पाया। उसी ट्रैक को दूसरे रेसर्स आराम से पार करके निकल गए क्यूंकि उन्होंने पहले ही उस ट्रैक को ठीक से जांच लिया था।

इस बार रोहन की हार हुई और उसका Confidence भी चूर-चूर हो गया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में हमें कभी भी अपने टैलेंट, स्किल्स और क्वालिटी पर ओवर कॉन्फिडेंस नहीं होना चाहिए। कई बार हमारा अति आत्मविश्वास हमें उन चीजों को देखने नहीं देता जो हमारी हार का कारण बन सकती हैं। खुद पर विश्वास होना जरूरी है लेकिन हद से ज्यादा विश्वास होना हमारी हार का कारण बन सकता है इसलिए अपनी स्किल्स पर विश्वास रखें लेकिन इतना नहीं कि वह आपको ओवर कॉन्फिडेंट बना दें।

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Fifth Out of 8 Short Motivational Stories for Success

5- Secret of Success (Inspirational story)

एक समय की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्य को साथ लेकर किसी गांव में प्रवचन देने जा रहे थे। दोनों सफर करते-करते काफी थक चुके थे और रात होने से पहले दूसरे गांव पहुंच जाना चाहते थे।

सफर लंबा होने की वजह से उनका शिष्य परेशान हो चुका था. वह बार-बार बुद्ध से पूछता कि वो गांव और कितनी दूर है।

शिष्य की परेशानी को दूर करने के लिए गौतम बुद्ध ने थोड़ा आगे जाकर खेत में काम कर रहे एक बुजुर्ग से पूछा, “क्या आप बता सकते हैं की इसके बाद वाला गांव अभी कितना दूर है ?”

बुजुर्ग व्यक्ति बोले, “आप चिंता मत कीजिए, अब गांव ज्यादा दूर नहीं है मुश्किल से 2 मील और फिर आप वहां पहुंच जाएंगे।”

ऐसा कहकर वह बुजुर्ग मुस्कुराए और गौतम बुद्ध भी मुस्कुरा दिए।

दो मील का सफर लगभग तय हो चुका था लेकिन कोई गाँव नहीं आया। थोड़ा आगे जाने के बाद उन्हें एक बूढ़ी महिला मिली। बुद्ध ने उस महिला से भी वही सवाल किया और वो बोलीं, ‘ज्यादा दूर नहीं, बस दो मील और, आप लगभग पहुंचने ही वाले हैं।”

उसकी बात सुनकर बुद्ध मुस्कराए और वो भी मुस्कुरा दी।

ये सब उनका शिष्य भी देख रहा था और वो मन ही मन सोचने लगा, ‘इसमें मुस्कुराने की क्या बात है?”

वो दोनों दो मील और चले लेकिन अब भी कोई गाँव नहीं आया। बुद्धा ने फिर एक व्यक्ति से वही प्रश्न पुछा और हर बार की तरह वही जवाब मिला जो बांकी सब दे रहे थे। और फिर वही मुस्कराना।

ये सब देख शिष्य थोड़ा क्रोधित हो गया और क्रोध में बोला, “बस, अब मैं और आगे नहीं चलने वाला। मैं थक गया हूं। ऐसा लग रहा है कि हम वो दो मील का सफर कभी तय नहीं कर पाएंगे। जिससे भी पूछो वो दो मील बोलकर मुस्कुरा देता है, इसकी क्या वजह है? क्या वो सब हमसे झूठ बोल रहे थे।”

शिष्य के गुस्से को शांत करने के लिए बुद्ध बोले, “बस थोड़ा दूर और फिर मंज़िल आपके सामने होगी, ऐसा सुनकर मैं मुस्कराया, वो भी मुस्कुरा दिए।”

मैने भी पूरी जिंदगी यही काम किया है और लोग अंत में मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं। शुरू में ही अगर हम उन्हें ये बता दें की मंज़िल अभी बहुत दूर है। वहां तक पहुंचना इतना आसान नहीं है, तो वो पहले ही हार मान लेंगे और फिर आगे बढ़ने का हौंसला भी खो देंगे लेकिन बस थोड़ा दूर और, कहते हुए दो सौ मील का सफर भी पर किया जा सकता है।”

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ये छोटी सी कहानी हमें सिखाती है कि धीरे-धीरे ही सही हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए। जितना हम आगे बढ़ते जाएंगे मंजिल के करीब पहुंचते जाएंगे। अगर हम बीच रास्ते में ही रुक गए तो अपनी मंजिल तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे।

6- कुछ पाने के लिए कुछ करना भी पड़ता है।

एक बार एक व्यक्ति मंदिर गया और प्रार्थना करने लगा, “हे भगवान, मैं अपनी जॉब से, अपने काम से बहुत थक चूका हूँ। अब में बस आराम से जीना चाहता हूँ। Please God उसके लिए आप मुझे बस एक Lottery जितवा दो।” इतना कह कर वो मंदिर से चला गया।

हफ्ता बीत गया, लेकिन उस व्यक्ति की Lottery नहीं लगी, तो वो फिर मंदिर आया और प्रार्थना करना लगा, “हे भगवान, अब तो मैंने शराब पीना भी छोड़ दिया है, अब में एक अच्छा इंसान बन गया हूँ, Please God बस एक बार मुझे Lottery जितवा दो।” इतना कह कर वो फिर मंदिर से चला गया।

एक हफ्ता और बीत गया लेकिन उस व्यक्ति की Lottery नहीं लगी। वो फिर मंदिर आया, फिर से प्रार्थना करने लगा, “God, अब तो मेने सब बुरे काम भी छोड़ दिए हैं, अब वो Lottery का पैसा मुझे सपने में भी दिखने लगा है, Please God, मेरी मदद करो और Lottery जितवा दो।”

रोज की तरह जैसे ही वह व्यक्ति वहां से जाने लगा। तभी एक तेज रोशनी चमकी और एक आवाज आयी, “अरे मूर्ख, तू जाकर पहले एक Lottery का Ticket तो खरीद, तभी तो में तेरी Lottery लगवाउँगा।”

यह सक्सेस मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी हमें सिखाती है कि जीवन में कुछ पाने के लिए कुछ करना भी पड़ता है। जब तक आप कर्म नहीं करेंगे तब तक फल भी नहीं मिलेगा। हम सोचते हैं कि भगवान हमें हर चीज, हर सुविधा, बैठे-बिताई दे दे, हमें हिलना भी ना पड़े लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। जब तक आप कुछ करेंगे नहीं तब तक कुछ मिलेगा नहीं।

7- Sukrat Story for Success in Life

सुकरात किसी काम से अपने शहर से दूसरे शहर की तरफ जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक व्यक्ति मिला। दिखने में गरीब सा था और हालत भी बहुत खराब थी। सुकरात को देखकर वो सीधा उनके पास गया और बोला, ” सुकरात, आप तो बहुत बड़े philospher हैं। ज्ञान का भंडार आपके पास है। लोगों को हर तरह का ज्ञान देते हैं। आप, आज मुझे भी ज्ञान दीजिए और बताइए की मुझे सफलता कब मिलेगी।”

उसकी बातें सुनकर सुकरात को लगा कि ये कोई पागल है और मजाक कर रहा है। वो बिना कुछ जवाब दिए वहां से निकलने लगे। लेकिन उस व्यक्ति ने उनके पैर पकड़ लिए और वहां से जाने नहीं दिया।

उससे तंग आकर सुकरात बोले, “यहां से कुछ दूरी पर एक नदी है। कल सुबह तुम वहां पर आ जाना। मैं अपने साथ दो और ज्ञानी लोगों को लेकर आऊंगा और तुम्हारे इस सवाल का सही जवाब दे दूंगा।”

अगले दिन वह व्यक्ति सुकरात के कहे अनुसार समय पर नदी के पास पहुंच गया। कुछ देर बाद सुकरात भी दो लोगों के साथ उस स्थान पर आ गए।

सुकरात ने उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया और बोले, “चलो, हम नदी में स्नान करते हुए तुम्हें सफल होने का राज बताते हैं।”

जैसे ही वो लोग नदी में गए तो सुकरात ने अपने दोनों साथियों के साथ मिलकर उस व्यक्ति को पानी में डूबा दिया। पानी में डूबते ही वो व्यक्ति इधर उधर हाथ पैर मारने लगा। उसको छटपटाता देख थोड़ी देर में सुकरात ने उसे छोड़ दिया।

वह व्यक्ति तेजी से तैरता हुवा नदी से बाहर आया और जोर जोर से सांसें लेने लगा। जब वह सामान्य हुवा तो उसने सुकरात से बोला, “आपने मुझे अपने साथियों के साथ मिलकर यहां मेरे सवाल का जवाब देने बुलाया है या फिर मेरी जान लेने के लिए।”

उसकी बात सुनकर सुकरात बोले, “मुझे एक बात बताओ, जब हम सब मिलकर तुम्हें पानी में डूबा रहे थे तो तब ऐसी क्या चीज थी जो तुम सबसे ज्यादा चाहते थे?”

वह बोला, “उस अवस्था में, मैं बस किसी भी तरह पानी से बाहर निकलकर कर गहरी सांस लेना चाहता था और अपनी जान बचाना चाहता था।”

सुकरात बोले, “यही तो तुम्हारे सवाल का जवाब है। जब तुम सफलता को भी इतनी ही तीव्र इच्छा से पाना चाहोगे जितनी तीव्र इच्छा से तुम इस नदी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहते थे, तब तुम्हें सफलता जरूर प्राप्त होगी।”

सीख जो हमें इस छोटी सी कहानी से मिलती है:

किसी भी काम को करने के लिए उस काम के प्रति हमारे मन में तीव्र इच्छा जरूर होनी चाहिए। सफल होने की तीव्र इच्छा ही हमें और अधिक मेहनत करने पर मजबूर करती है। सफल होने की इच्छा जितनी तेज होगी मेहनत भी उतनी ही ज्यादा होगी।

8- Last Option

यह छोटी सी कहानी दो राज्यों की है जिसमें एक राज्य ऐसा था जिसमें रहने वाले लोगों की संख्या बहुत कम थी और वह राज्य समुद्र के किनारे में बसा हुआ था।

दूसरा राज्य समुद्र से काफी दूर था, वह काफी बड़ा और वहां रहने वाले लोगों की संख्या भी ज्यादा थी। वैसे तो दोनों राज्य काफी शांतिप्रिय थे लेकिन उनकी सेनाओं के बीच अक्सर छोटी-मोटी लड़ाईयां होती रहती थी।

बड़े राज्य का राजा, छोटे राज्य पर कब्जा करके अपने साम्राज्य को बड़ाना चाहता था। जिसकी वजह से वो हमेशा अपनी सेना भेजकर उस राज्य पर हमला कर देता। एक दिन ऐसा आया जब इन हमलों ने एक बड़े युद्ध का रूप ले लिया। युद्ध काफी दिनों तक चला, जिसमें छोटे राज्य को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। उनके आधे से ज्यादा सैनिक मारे गए। उनके पास शिवाय आत्मसमर्पण के कोई रास्ता नहीं बचा।

उस छोटे राज्य के राजा को समझ नही आया ही वो क्या करे आत्मसमर्पण करने से पहले उसने अपने बचे हुवे सभी सैनिकों को बुलाया और उन्हें बताया की इस युद्ध को जीतना है तो हमें दुश्मन के घर जाकर उस पर हमला करना होगा वरना ये लड़ाई हम हार जायेंगे।

उसने अपने सैनिकों को, हथियारों को एक बड़े से जहाज में भरा और समुद्र के दूसरी छोर से होते हुवे उस बड़े राज्य की सीमा के पास पहुंच गया।

वहां पहुंच कर उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि जहाज में उनकी जरूरत का जितना समान है सब निकाल लो और इस जहाज में एक बड़ा छेद करके इसे समुंद्र में डूबा दो।

सैनिकों को कुछ समझ नहीं आया लेकिन राजा का आदेश तो मानना ही था।

इसके बाद राजा ने अपने सैनिकों को एकजुट किया और कहा, “जिस जहाज से हम आए थे वो कुछ देर में पूरी तरह डूब जाएगा, अब हमारे पास सिर्फ एक रास्ता है इस लड़ाई को जीतने का या फिर इस लड़ाई में शहीद हो जाने का।

इस जहाज के साथ ही हमारे पीछे जाने के सभी रास्ते भी डूब गए हैं। हमें अब सिर्फ युद्ध पर ध्यान देना है और इस लड़ाई में या तो मर जाना है या जीत हासिल करनी है। हमारा लक्ष्य अब साफ़ है, हमे पता है की क्या करना है।

इसके बाद उस राजा ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर उस राज्य पर हमला कर दिया। उनके पास शिवाय लड़ने के कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था इसलिए वो पूरी जी जान से लड़े और उस बड़े राज्य के हजारों सैनिकों को मारकर उन्होंने उनके राजा को बंदी बना लिया और युद्ध जीत लिया।

यह छोटी सी प्रेरणादायक कहानी हमें सिखाती है कि हमें भी सफल होने के लिए पीछे जाने के सभी रास्तों को बंद करना होगा। कई बार हम किसी काम की शुरुआत करते हैं तो उसके साथ कई ऑप्शन लेकर चलते हैं कि अगर यह नहीं चला तो यह कर लेंगे, अगर यह नहीं हुआ, तो फिर यह कर लेंगे।

दोस्तों, जब तक हमारे पास आप्शन रहते हैं तब तक हम किसी एक काम में फोकस नहीं कर पाते और ना ही उस काम को ज्यादा वैल्यू देते हैं। इसीलिए अगर सफल होना है तो पीछे जाने के सभी रास्तों को बंद कर दो और सिर्फ एक काम में फोकस करो, मेहनत करो और सफलता जरूर मिलेगी।

आशा है ये short stories for success से मिलने वाली प्रेरणादायक सीख आपके काम आए। ऐसी ही और भी बेहतरीन Stories in Hindi पढ़ने और career से जुड़ी जरूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस blog से जुड़ें।

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