15- शेर, लोमड़ी और गधे की शॉर्ट मोरल स्टोरी
जंगल में घूमते हुवे लोमड़ी की नजर एक गधे पर पड़ी। गधा मजे से घास चरने में लगा था। उसे देखकर लोमड़ी समझ गई की ये गधा अपने झुंड से बिछड़ चुका है।
लोमड़ी ने सोचा, “क्यूं ना मैं इस गधे से दोस्ती कर लूं और इसकी दोस्ती के सहारे मैं इनके झुंड में शामिल हो जाउंगी। जब भी मेरा मन होगा मैं गधों का शिकार करके अपना पेट भर लूंगी।”
लोमड़ी ने चतुराई भरी बातों से गधे से दोस्ती कर ली। गधा तो गधा था, वो भी लोमड़ी को अपना दोस्त मानने लगा और उसे लेकर अपने झुंड की तरफ चल दिया।
जंगल में थोड़ा दूर जाते ही उनके सामने एक बड़ा सा शहर आ गया।
शेर को देखकर लोमड़ी डर गई, क्योंकि शेर, गधे को मारता ही साथ में लोमड़ी को भी मार देता। लोमड़ी ने फिर अपना शातिर दिमाग चलाया।
वो शेर के पास गई और धीरे से उसके कान में बोली, “महाराज, इस गधे को मैंने अपना दोस्त बना लिया है, मैं इसे आसानी से आपका शिकार बना सकती हूं और इसके सहारे दूसरे गधों को भी आपके लिए ला सकती हूं बस आप मुझे छोड़ दीजिए।”
शेर, लोमड़ी की बात मान गया और वहां से थोड़ा दूर चला गया। मौका मिलते ही लोमड़ी ने गधे को एक गड्ढे में गिरा दिया और शेर को बुला लिया।
शेर ने देखा की गधा गड्ढे में फंस गया है। अब वो वहां से भाग नही सकता। इसलिए मौका देखते ही उसने लोमड़ी पर झपट्टा मारा और उसका शिकार कर दिया। लोमड़ी के बाद शेर ने आराम से उस गधे का भी शिकार कर दिया।
Moral of the Story
पहली सीख, जो लोग दूसरों का बुरा करने की सोचते हैं उनके साथ भी बुरा ही होता है। दूसरी सीख, जो लोग अपने दोस्तों को धोखा देते हैं अक्सर वो लोग खुद को भी बर्बाद कर लेते हैं।
16- किसान और उसकी बिल्ली (Hindi Moral Story)
एक किसान था, जो खेती करके ही अपना घर चलाता था। उसकी मेहनत से उसकी फसलें खूब फलती-फूलती थीं। उसके पास अन्य किसानों की तुलना में अधिक अनाज होता था।
अपने अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किसान ने एक गोदाम बनवाया और सारा अनाज उसमे रख दिया। लेकिन कुछ ही महीनों में उस गोदाम में बहुत सारे चूहे हो गए, जो अनाज को नुकसान पहुँचाने लगे।
चूहों से छुटकारा पाने के लिए किसान एक बिल्ली ले आया। बिल्ली ने कुछ ही दिनों में कई सारे चूहे मार दिए। बिल्ली की डर से बचे हुवे चूहों ने फैसला किया कि वो अब बिलों से बाहर ही नहीं निकलेंगे। ताकि बिल्ली को लगे की सब चूहे मर गए हैं और वो कहीं और चले जाएगी।
चूहों ने बिलों से बाहर निकलना बंद कर दिया। बिल्ली को अब गोदाम में चूहे नजर नहीं आ रहे थे, वो समझ गई की चूहों ने अब बिलों से बाहर निकलना बंद कर दिया है। चूहों को बाहर निकालने के लिए बिल्ली ने एक चाल चली। वह गोदाम के दरवाजे पर चढ़ी और वहां से नीचे कूद गई, और मरने का नाटक करने लगी।
बिल्ली के गिरने की आवाज सुनकर एक चूहे ने अपने बिल से बाहर झांका। उसने देखा कि बिल्ली नीचे गिर के मर चुकी है। लेकिन चूहा समझदार था, उसने जोर से कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि आप बहुत चालाक हैं, लेकिन चाहे आप कितनी भी चालाकी क्यों ना करें, चाहे खुद को अनाज की बोरी में भी छुपा लें, हम फिर भी अपने बिलों से बाहर निकलने की गलती नहीं करेंगे। आप हमें चाहे जितना भी फुसलाएं, हम आपकी चाल में नहीं फंसेंगे।”
चूहे की बात सुनकर बिल्ली चुपके से उठी और खिसयाते हुवे वहां से चली गई।
नैतिक कहानी से मिलने वाली सीख
यदि आप समझदार हैं, तो आप उन लोगों से कभी दोबारा धोखा नहीं खाएंगे जो पहले भी आपका नुकसान कर चुके हैं।
17- तीन बेटे शॉर्ट हिंदी मोरल स्टोरी
एक आदमी के तीन बेटे थे लेकिन वो हमेशा एक-दूसरे से झगड़ते ही रहते थे। उनके आपसी झगड़े को देख पिता को बहुत चिंता होती थी। वो चाहते थे कि उनके तीनो बेटे मिल जुलकर एक साथ रहें। पिता ने उन्हें शांति से रहने के लिए बहुत बार समझाया, लेकिन वो नही मानते थे। इसलिए उन्होंने उन्हें उनकी मूर्खता समझाने के लिए एक योजना बनाई।
उन्होंने तीनो बेटों को एक दिन अपने पास बुलाया और एक एक लकड़ी की गठ्ठी (bundle) लाने को कहा। जब तीनो लकड़ी की गठ्ठी ले आए तो पिता ने कहा की अब तीनों अपनी अपनी गठ्ठी को एक बार में तोड़ कर दिखाएं। तीनो बेटों ने बहुत कोशिश की, लेकिन कोई भी लकड़ी नहीं तोड़ सका।
फिर पिता ने लकड़ी की गठ्ठी खोल दी और एक एक करके लकड़ी तोड़ने को कहा। इस बार तीनों बेटों ने आसानी से लकड़ी तोड़ दी।
ये सब देख उनके पिता बोले, “देखो बच्चों, जब तुम एक साथ होते हो, तो तुम अपने दुश्मनों के मुकाबले में मजबूत होते हो। लेकिन अगर तुम झगड़ते हो और अलग हो जाते हो, तो तुम कमजोर पड़ जाओगे। मिलजुलकर रहने से ही हमारी ताकत बनी रहती है।”
Moral of the Story
एकता में शक्ति होती है। जब लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो वे बड़ी समस्याओं का सामना करने में सक्षम होते हैं।
18- गधे की परछाई (New Moral Story)
गर्मियों के दिन थे, एक आदमी था। जिसे अपनी यात्रा के लिए रेगिस्थान से होते हुवे बहुत दूर जाना था। जिसके लिए उसने एक ऊंट किराए पर लिया और उसके मालिक को पीछे-पीछे चलने के लिए कहा।
गर्मी बहुत थी और आधा सफर तय करने के बाद उस यात्री ने आराम करने का फैंसला लिया। तेज धूप से बचने के लिए वो यात्री, ऊंट की परछाई में आराम करने लगा।
लेकिन उसके मालिक ने यात्री को ऊंट की परछाई में लेटने से मना कर दिया। उसने यात्री से कहा, “मैंने केवल ऊंट को किराए पर दिया है, उसकी परछाई को नहीं। इसलिए ऊंट की परछाई पर मैं आराम करूंगा।”
ये बात सुनकर यात्री को गुस्सा आ गया और उन दोनो के बीच बहस होने लग गई। धीरे धीरे बहस बढ़ गई और झगड़ा हो गया। इस झगड़े के दौरान, ऊंट मौका देखकर वहां से भाग गया और जल्दी ही आँखों से ओझल हो गया।
कहानी से मिलने वाली नैतिक सीख
छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने और बहस करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता। कभी-कभी, विवाद और नासमझी के कारण हम जरूरी चीजें भी खो देते हैं। इसलिए, हमें हमेशा बेतुके विवादों से बचने और समझदारी से काम करने की कोशिश करनी चाहिए।
19- लालच बुरी बला है मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक बार एक मछुवारा समुद्र के किनारे मछलियाँ पकड़ रहा था। मछलियाँ पकड़कर जब वो घर की तरफ आ रहा था, तो उसे रास्ते में एक सुनहरे रंग का बत्तख का बच्चा मिला। उसकी अनोखी रंगत देखकर मछुवारा उस बत्तख के बच्चे को अपने घर ले आया।
कुछ समय बाद वह बत्तख बड़ी हो गई और अंडे देने लगी। जब उसने पहली बार अंडा दिया, तो वह अंडा सोने का था। यह देखकर मछुवारा बहुत हैरान और खुश हुआ, क्योंकि उस अंडे को बेचकर उसकी गरीबी दूर हो सकती थी। लेकिन समस्या यह थी कि बत्तख महीने में सिर्फ एक ही बार अंडा देती थी। मछुवारे का लालच दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था।
मछुवारा अब और इंतजार नहीं करना चाहता था। उसने सोचा कि अगर बत्तख सोने का अंडा देती है, तो शायद वह अंदर से भी सोने की बनी होगी।
इसलिए उसने निर्णय लिया कि बत्तख को मारकर वो उसका पूरा सोना निकल कर बेच देगा और एक ही बार में अमीर बन जाएगा।
एक दिन मौका मिलते ही, मछुवारा ने बत्तख को मार डाला, लेकिन उसके अंदर से कुछ भी नही निकला। बत्तख अंदर से दूसरी बतखों जैसी ही निकली। यह देखकर मछुआरे को एहसास हुआ कि उसने अपने लालच के कारण अपनी गरीबी फिर करने का जरिया भी खो दिया।
कहानी की सीख – लालच बुरी बला है, चाहे वो कम हो या ज्यादा।
20- किसान और उसका भाग्य
एक दिन, एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था। अचानक उसका हल किसी चीज से टकराया। किसान को लगा की शायद कोई बड़ा पत्थर होगा। उसे निकालने के लिए किसान ने उस जगह पर खोदना शुरू कर दिया। लेकिन उस जगह से पत्थर नहीं बल्कि एक छोटा सा बक्सा निकलना।
किसान ने जब उसे खोला तो वह बक्सा सोने के सिक्कों से भरा था। उसे देखकर किसान बहुत खुश हुआ। वो सोचने लगा की यह सब धरती मां ने उसे दिया है तो उसे धरती मां का शुक्रिया अदा करने चाहिए और फिर वो रोज सुबह धरती मां की पूजा करने लगा।
लेकिन कुछ दिन बाद किसान के घर में चोरी हो गई और चोर सोने के सिक्कों से भरा बक्सा भी उठा ले गए। किसान बहुत दुखी हो गया और जोर जोर से रोकर अपनी बुरी किस्मत को दोष देने लगा।
किसान की हालत देख भाग्य की देवी प्रकट हुई और बोली, “अरे किसान, जिस दिन तुम्हें सोने के सिक्कों से भरा बक्सा मिला उस दिन तुमने मेरा धन्यवाद नही किया और आज जब वो चोरी हो गया है तो तुम मुझे दोष दे रहे हो। वो बक्सा तुम्हें धरती मां ने नहीं मैंने दिया था और तुमने एक बार भी मुझे धन्यवाद देने की नही सोची।”
Moral of the Story- हमें आभार उसी का मानना चाहिए, जो वास्तव में उसका हकदार हो। जो उपकार करता है, उसे उसका उचित सम्मान मिलना चाहिए।
आई होप, ये best moral stories in Hindi से मिलने वाली सीख आपके काम आए। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस blog से जुड़े रहें।