दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि यह जीवन सुख और दुख से भरा है। जो इंसान सुखी है उसके जीवन में कब दुख जाए कह नहीं सकते। सुख और दुख इस जीवन का हिस्सा हैं और इन्हीं के साथ हमें रहना है।
वैसे तो ये बात हर कोई मानता है लेकिन जब भी किसी के जीवन में दुख आता है तो वो हताश और निराश हो जाते हैं। उन्हें लगने लगता है की ये जीवन जीने लायक नही है।
दुख की घड़ी में इंसान खुद को हारा हुवा समझने लगता है और भूल जाता है सुख जैसी भी कुछ चीज होती है।
आज की इस गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी के जरिए हम आपको इस ज्ञान के बारे में बताएंगे जो बुद्ध ने दुख से बाहर निकलने के लिए दिया है।
गौतम बुद्ध ने अपने जीवन काल में बहुत से उपदेश दिए हैं और उन्हीं उपदेशों से आज हम दुख से निकलने की Motivational Gautam Buddha Story लेकर आए हैं। इस प्रेरणादायक कहानी को एक बार जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।
दुखों से कैसे बाहर निकलें – A Gautam Buddha Story in Hindi
एक बार की बात है, गौतम बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गांव में उपदेश देने गए। गांव के लोग बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में जानते थे और उनके ज्ञान से प्रभावित थे। उनके उपदेशों को सुनने के लिए आस पास के सभी गांव के लोग आए।
किसी गाँव से एक दिन, एक बूढ़ी महिला बुद्ध के पास आई और उन्हें देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए, रोते-रोते बूढ़ी महिला बुद्ध से बोली, “भगवान, मेरा इकलौता बेटा मर गया है।
उसके बिना मेरे जीवन में सिर्फ अंधकार है। इस दुख की घड़ी से मैं खुद को बाहर नहीं निकाल पा रही हूं, कृपया मुझे कोई उपाय बताएं जिससे मेरा दुख दूर हो सके?”
बुद्ध ने महिला को ध्यान से देखा और बोले, “मैं तुम्हारे दुख को समझ सकता हूं लेकिन इस वक्त मेरे पास ऐसा कोई उपाय नहीं है जिससे मैं तुम्हारा दुःख दूर कर सकूं लेकिन तुम एक काम करो इस गांव में ऐसे घर की तलाश करो जहां किसी की मृत्यु ना हुई हो और वहां से एक सरसों का बीज ले आओ। तुम्हारे वापस आने तक मैं तुम्हारे दुःख को दूर करने का उपाय ढूंढ लूंगा।”
गौतम बुद्ध की यह बात सुनकर उस महिला को लगा शायद इसी में उसके दुख से निकलने का कोई रास्ता हो और वह अपने बेटे की मृत्यु को कुछ समय के लिए भूलकर लोगों के घर घर जाने लगी।
बुद्ध के कहे अनुसार जब भी वह किसी घर के दरवाजे में दस्तक देती तो उनसे पूछती, “क्या इस घर में कभी किसी की मृत्यु नहीं हुई?”
लेकिन हर घर से उसे सिर्फ एक ही जवाब मिलता, “हमने भी कभी ना कभी अपने किसी प्रियजन को खोया है।”
वह महिला पूरे गांव में घूमी लेकिन उसे ऐसा कोई भी घर नहीं मिला जहां किसी की मृत्यु ना होई। अंत में निराश होकर वह गौतम बुद्ध के पास वापस आ गयी।
रोते हुए उस महिला ने गौतम बुद्ध से कहा, “भगवान, इस गांव में मैं ऐसा कोई भी घर ढूंढ नहीं पाई जहां किसी की मृत्यु न हुई हो।”
बुद्ध ने उस महिला को करुणा भरी आंखों से देखा और बोले,
“यही तो इस जीवन की सच्चाई है। इस संसार में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को मृत्यु का सामना करना पड़ता है। कोई इससे बच नहीं सकता। जो आया है, उसे एक दिन जाना ही होगा। किसी को पहले जाना है तो किसी को बाद में। तुम्हारे दुख का कारण यह है कि तुमने इस सच को स्वीकार नहीं किया।“
बुद्ध अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोले, “हमारे दुख का असली कारण हमारे अपनों से होने वाला लगाव और प्रेम है। हमें अपने प्रियजनों के प्रति प्रेम और दया भाव रखना चाहिए, लेकिन यह भी समझना चाहिए कि यह संसार अस्थायी है। कब कौन साथ छोड़ जाए यह कहा नहीं जा सकता। तुम भी अपने सत्य को स्वीकार करो और अपने जीवन को आगे बढ़ाओ।”
बुद्ध की बातें महिला ने ध्यान से सुनी और उन्हें सुनकर उसे एक शांति का एहसास हुआ, वह समझ गई कि संसार के नियमों से कोई भी बच नहीं सकता। धीरे-धीरे उसका मन शांत हो गया और अपने बेटे की मृत्यु को जीवन की सच्चाई मानकर स्वीकार कर लिया।
गौतम बुद्ध की कहानी से मिलने वाली सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारे दुखों का कारण किसी भी चीज से बहुत ज्यादा लगाव और अपेक्षा रखना है। मृत्यु एक सत्य है, हम इस जीवन में लोगों को खोएंगे और नई लोगों से मिलेंगे भी।
जब हम लोगों से बहुत ज्यादा लगाव और बहुत ज्यादा प्रेम करने लगते हैं तो उनके खोने से हमें बहुत दुख होता है। इस संसार के नियम को हमें समझना जरूरी है। चीजों से लगाव इतना ना रखें कि वह आपके दुखों का कारण बने।
चीजों को प्राथमिकता दें लेकिन इस मोह में ना रहें कि यह चीज हमेशा हमारे साथ रहेगी। आज हम भी किसी के साथ हैं तो हो सकता है कल ना हो लेकिन जो मोह, लगाव और प्रेम हम दूसरों से करते हैं वह इतना ना हो कि उनके जाने से हमारा जीवन भी दुखों से भर जाए।
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आशा करता हूं कि इस Gautam Buddha Story के जरिए आपने कुछ अच्छी बातें सीखी हों और जीवन की सच्चाई से खुद को रूबरू कराया हो। ऐसी ही और भी मोटिवेशनल कहानियां पढ़ने के लिए इस Blog को फॉलो जरूर करें।