जिंदगी भी तो एक जुआ है | Best Osho Story in Hindi

दोस्तों, ओशो के बारे में आपने सुना ही होगा। ओशो कहानी के जरिए जीवन के बड़े-बड़े अनुभव, ज्ञान और ऐसी सीख लोगों को देते थे जो उनके जीवन को बदल कर रख देती थी। ओशो की ऐसी बहुत सारी कहानियां है जो हमें जीवन की गहरी बातें सिखाती हैं।

कहानियों के माध्यम से इस जीवन को समझना और ओशो के ज्ञान को समझना बहुत आसान हो जाता है आज हम आपके लिए ऐसी ही एक ओशो की मोटिवेशनल स्टोरी लेकर आए हैं।

जिसे पढ़कर आप जानेंगे कि जीवन कैसा है और हम किन चीजों के पीछे भाग रहे हैं। चीजों चाहत में हम कुछ खो भी देते हैं और कुछ पा भी लेते हैं।

जिंदगी भी तो एक जुआ है – Osho Story in Hindi

ओशो की एक कहानी है जिसमें वह कहते हैं की एक बार मैं एक आदमी के बारे में पढ़ रहा था। उसे वसीयत में 10 हजार डॉलर मिले। उसने सोचा कि धन तो आ ही गया है लेकिन ये उसकी जरूरत के अनुसार नही है।

क्यों ना एक बार जुआ खेलकर इन 10 हजार डॉलर को और बड़ा लिया जाए, ताकि जिंदगीभर के लिए काम करने की झंझट ही मिट जाए। वो अपनी पत्नी को साथ लेकर जुआ खेलने चला गया। लेकिन उसकी किस्मत खराब थी, वह जुआघर में गया और सब कुछ हार गया।

अंत में उसके पास बचे तो सिर्फ दो डॉलर। वह भी इसलिए बचा लिए क्योंकि जुआ घर से होटल तक टैक्सी का किराया चाहिए था।

वह बाहर आया और पत्नी से बोला, “सुन, आज घर पैदल ही चल लेंगे, यह दो डॉलर भी जूवें में लगा देते हैं नहीं तो मन में एक बात रह जाएगी की क्या पता यह दो डॉलर लगाने से हमारी किस्मत चमक जाती। पत्नी बोली, “तुम ही जाओ मैं तो चली होटल।”

वह आदमी फिर से जुवांघर गया और उसने दो डॉलर दांव पर लगा दिए फिर क्या वह बाजी जीत गया। दो डॉलर के चार हो गए। फिर चार के आठ। आठ के सोलह और ऐसा करते-करते वह एक लाख डॉलर जीत गया।

आधी रात हो चुकी थी उसने सोचा कि क्यों ना अब एक बड़ा दांव खेलकर एक लाख डॉलर को दस लाख में बदल लूं। उसने 1 लाख डॉलर एकसाथ दांव पर लगा दिए, अगर जीत जाता तो 10 लाख हो जाते, मगर इस बार वह फिर हार गया।

आधी रात हो गई थी पैदल चलता हुआ होटल पहुंचा। कमरे के बाहर पहुंच कर दरवाजा खटखटाया। पत्नी ने पूछा, “क्या हुआ?” वह बोला, “कुछ नहीं, वह दो डॉलर भी में हार गया।”

उसने सोचा की जेब में कुछ है ही नहीं तो एक लाख डॉलर जीतने की बात बताने का अब क्या ही मतलब। पत्नी ने फिर पूछा, “तो इतनी देर क्यों हो गई? अब तक कहां थे?”

वह बोला, “यह सवाल अब पूछ मत, इस दुख को छेड़ मत, बस यह जान ले की जो दो डॉलर बचे थे, वह भी मैं हार गया हूं।”

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Learning from this Osho Story

ओशो इस कहानी के जरिए ये समझाते हैं की ये दुनिया भी जुवें की तरह है। यहां कभी हार होती है तो कभी जीत होती है। इस जीवन में जो भी बाजी हम खेलते हैं वो कुछ ना कुछ परिणाम लेकर आती है। हर जीत किसी बड़ी हार को बुलावा देती है।

यहां दुख है तो सुख भी मिलता है ऐसा नहीं है की सिर्फ दुख ही दुख है। दुख के बाद मनुष्य को सुख ही आशा रहती है और जब सुख आता है तो वो अपने पीछे दुख भी लेकर आता है। यही सुख दुख के लालच हर मनुष्य जीवन को जीता चला जाता है।

इसके अलावा ये कहानी हमें सिखाती है कि लालच इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती। अगर इंसान अपने मूल्यों और सीमाओं को नहीं समझता, तो वह अपने हाथ में आई हर अच्छी चीज को खो सकता है।

कभी-कभी नुकसान को स्वीकार करना और आगे बढ़ जाना ही सबसे समझदारी भरा कदम होता है। ज्यादा का लालच अक्सर हमारे जीवन की स्थिरता को खत्म कर देता है, और जो हमारे पास बचा होता है, उसे भी छीन लेता है।

लालच एक ऐसी चीज है जो कभी खत्म नहीं होती. जो मनुष्य अपनी सीमाओं को जान लेता है वह कभी लालच के चक्कर में नहीं पड़ता, वह जानता है कि उसकी जरूरत कितनी है और उसके पास कितना है।

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आशा करता हूं ओशो की स्टोरी आपको पसंद आए ऐसी ही और भी कहानी पढ़ने के लिए इस ब्लॉग को फॉलो जरूर करें।

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