दोस्तों, आप सभी ने कभी ना कभी नैतिक कहानियां पड़ी और सुनी होंगी। नैतिक कहानियां मजेदार होती हैं, शॉर्ट होती हैं और उनसे मिलने वाली सीख बहुत काम की होती है।
आज हम आपके लिए ऐसी ही Top 20 moral stories in Hindi लेकर आए हैं जिन्हें पढ़कर आपको काफी मजा आएगा और साथ ही इनसे मिलने वाली सीख आपके जीवन में बहुत काम आएगी।
इन नैतिक कहानियों को पढ़कर आप इनसे सीख ले सकते हैं और साथ ही छोटे बच्चों को सुना कर उन्हें भी जीवन के कुछ जरूरी सबक सिखा सकते हैं। इन बेस्ट मोरल स्टोरीज को पढ़िए और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिए।
1- घोड़ा और नौकर (short moral story in hindi)
एक बार की बात है, एक अमीर व्यक्ति ने अपने घोड़े की देख रेख के लिए एक नौकर रखा। वह नौकर हर दिन घोड़े की सफाई करता, उसे अच्छे से सँवारता, और उसकी चमक-दमक पर पूरा ध्यान देता।
कुछ समय बाद उस नौकर ने पैसा कमाने के चक्कर में घोड़े को चारा देना कम कर दिया और चोरी छिपे उस चारे को बेचने लगा। कम भोजन मिलने की वजह से धीरे-धीरे, घोड़े की हालत बिगड़ने लगी। वह कमजोर और दुबला-पतला हो गया।
वो नौकर घोड़े को सजाता तो रोज था लेकिन खाने में वैसे ही कमी रखता। आखिरकार जब घोड़े को लगा कि उसका अंतिम समय आने वाला है तो उसने नौकर से कहा, “अगर तुम सच में चाहते हो कि मैं तंदुरुस्त और अच्छा दिखूं, तो मुझे सँवारो कम और खिलाओ ज्यादा।”
Moral of the Story
केवल बाहरी सजावट पर ध्यान देने से कुछ नहीं होता, असली जरूरत अंदर से मजबूत बनने की होती है। किसी भी चीज का सुधार तब सही से होता है जब उसकी मूल आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाए।
2- एक घमंडी शेर की नैतिक कहानी
एक घने जंगल में बलराम नाम का एक शक्तिशाली शेर रहता था। उसकी दहाड़ इतनी भयंकर थी कि जंगल का हर प्राणी उससे कांप उठता था। वो जंगल का राजा था, और उसे इस बात पर बहुत घमंड था। उसे यकीन था कि वह जो चाहे, वो कर सकता है।
एक दिन बलराम जंगल से घूमता हुवा एक गांव में आ गया। जहां उसने देखा की वहां का राजा एक बड़े से हाथी में सिंहासन लगाकर बैठा है और अपने राज्य में घूम रहा है। उसे यह देखकर बहुत जलन हुई। उसने ठान लिया कि वह भी इसी तरह हाथी पर सिंहासन लगाकर जंगल में घूमेगा।
वो जंगल गया और उसके आदेश पर सबसे बड़े हाथी पर एक सिंहासन लगवाया गया। सिंहासन काफी ऊंचाई पर था तो बलराम ने एक बड़ी छलांग लगाई और हाथी पर बैठ गया।
जैसे ही हाथी ने चलना शुरू किया तो सिंहासन डगमगाने लगा और थोड़ी ही दूर जाने के बाद बलराम असंतुलित होकर सिंहासन से नीचे गिर गया।
वो इतनी जोर से नीचे गिरा की उसकी एक टांग टूट गई और उसकी ऐसी हालत देख जंगल के सभी जानवर उसपर हंसने लगे।
सबके सामने बलराम का मजाक बन कर रह गया। इससे शर्मिंदा होकर वो मन ही मन खुद से बोला, “इससे अच्छा तो पैदल ही चलना ही बेहतर था।”
कहानी की सीख
दूसरों की नकल करने से अक्सर खुद का ही नुकसान हो जाता है। इसलिए दूसरों की नकल करने से अच्छा है खुद को काबिल बनाना।
3- चालाक भेड़िया और मासूम मेमना
एक बार जंगल में घूमते हुए एक भेड़िए की नजर एक छोटे से मासूम मेमने पर पड़ी। वह छोटा मेमना अपने झुंड से बिछड़ चुका था। मैंने की मासूमियत देखकर भेड़िए ने सोचा कि इसे यूं ही मानना सही नहीं है इसलिए मैं कुछ बहाना बनाकर उसको अपना भोजन बना लेता हूं।
भेड़िया धीरे से मिलने के पास गया और बोला, “पिछले साल तुमने मेरा बहुत मजाक उड़ाया था जिसका बदला लेने के लिए मैं आज तुम्हें मार कर खा जाऊंगा।”
डरी हुई आवाज में मेमना बोला,”ऐसा हो ही नहीं सकता महोदय मैं तो पिछले साल पैदा ही नहीं हुआ था।”
फिर भेड़िया बोला, “ठीक है। मान लेता हूं, लेकिन आज तुम उस जगह पर घास चरने आ गए हो जो मेरी है।”
मेमना बोला, “ये भी नहीं हो सकता क्योंकि जंगल किसी का नहीं होता और जंगल का राजा शेर होता है अगर यह बात शेर कहता तो शायद मैं मान भी लेता।
भेड़िया ने आखिरकार अपनी असली मंशा जाहिर करते हुए कहा, “खैर, कुछ भी हो, मैं अपना भोजन नहीं छोड़ने वाला,” ऐसा कहकर वह मेमने पर झपट पड़ा और उसे मार कर खा गया।
Moral of the Story
शक्तिशाली और लालची लोग अपनी स्वार्थी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अक्सर कमजोरों को बेवजह दोषी ठहराते हैं।
4- लोमड़ी और खट्टे अंगूर की मोरल स्टोरी
एक बार जंगल में एक चालाक लोमड़ी शिकार की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। लंबे समय तक कोई शिकार न मिलने की वजह से वह बहुत थक गई और उसकी भूख भी तेज हो गई।
कुछ दूर जाने पर उसे अंगूरों से लदी एक बेल दिखाई दी। उन रसीले अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया, और उसने सोचा, “शिकार तो कुछ मिला नही, अगर ये अंगूर मिल जाएं, तो मेरी भूख मिट जाएगी।”
अंगूर की बेल ऊँचाई पर थी, और अंगूर भी काफी ऊंचे लगे थे। लोमड़ी ने कई बार कूदकर अंगूर तोड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह असफल रही। उसने जितनी भी जोर से छलांग मारी, वह अंगूरों तक नहीं पहुंच सकी।
आखिरकार, कई बार कोशिश करने के बाद जब वह सफल नहीं हो पाई, तो वह थक हार कर वहां से जाने लगी और जाते-जाते उसने अंगूरों की ओर देखा और बोली, “शायद, ये अंगूर ही खट्टे हैं, इसलिए इतनी मेहनत करने के बाद भी मुझे नहीं मिले।”
कहानी की सीख
मूर्ख लोग अक्सर अपनी असफलता के लिए बहाने बना लेते हैं, बजाय इसके कि वे अपनी कमी या गलती को स्वीकार करें।
5- एक मुर्गा और दो नौकरानियां (Short Moral Story)
एक अमीर महिला ने अपने घर में दो नौकरानियां रखी थी वह महिला उन नौकरानियों से बहुत मेहनत करवाती थी और उन्हें हर सुबह जल्दी उठा देती थी। उसे अमीर महिला ने एक मुर्गा भी पाला हुआ था जो सुबह जल्दी बांध देता था और वह महिला उसी के अनुसार उन दोनों नौकरानियों को सुबह जगा देती और काम में लगा देती थी।
सर्दियों के मौसम में सुबह-सुबह जल्दी उठना उन नौकरानियों को बहुत खलता था उन्हें लगता था कि मुर्गा जल्दी बैंग देता है इसलिए उनकी मालकिन उन्हें जल्दी उठा देती है। उन्होंने सोचा कि अगर यह मुर्गा ही ना रहे तो फिर उन्हें जल्दी उठना भी नहीं पड़ेगा। ऐसा सोचकर उन्होंने मुर्गे का गला दबाकर उसे मार दिया।
अगले दिन जब मुर्गी ने बांग नहीं दी तो उनकी मालकिन को लगा कि आज शायद बहुत देर हो गई है ऐसा सोचकर उसने अपनी नौकरानियों को रात में ही उठा दिया और घर के कामों में लगा दिया। मुर्गी के न होने की वजह से उन नौकरानी को रात से ही काम करना पड़ गया।
कहानी की सीख: कभी-कभी छोटी समस्याओं से बचने के लिए उठाए गए गलत कदम और भी बड़ी मुश्किलों को जन्म दे देते हैं। जीवन में सोच-समझकर ही निर्णय लेना चाहिए।
6- बिल्ली के गले में घंटी कौन बढ़ेगा शॉर्ट मोरल स्टोरी
एक बार की बात है, बिल्लियों के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए सभी चूहों ने एक सभा बुलाई। सभा में हर चूहा अपनी-अपनी योजना लेकर आया, की किस तरह खुद को बिल्लियों से बचा सकते हैं।
सभी चूहों ने अपने-अपने सुझाव दिए और उनमें एक चूहा ऐसा था जो खुद को बहुत समझदार मानता था और उसने एक अनोखा सुझाव दिया। उसने कहा, “हम सभी मिलकर बिल्लियों के गले में एक घंटी बांध दें। इससे जब भी कोई बिल्ली हमारा शिकार करने आएगी तो घंटी की आवाज सुनकर हम तुरंत भाग जाएंगे और अपनी जान बचा लेंगे।”
सभी चूहे इस योजना से सहमत हो गए। लेकिन सभा में बैठे एक वृद्ध चूहे ने खड़े होकर कहा, “यह योजना सुनने में तो अच्छी लगती है, लेकिन मैं एक बात पूछना चाहता हूं- बिल्ली के गले में घंटी बांधने जाएगा कौन?”
यह सुनकर सभी चूहे चुप हो गए और समझ गए की इस योजना से फायदा नहीं बल्कि उनका ही नुकसान होगा।
कहानी की सीख – योजना ऐसी बनाओ, जो व्यावहारिक हो और जिससे किसी का या फिर खुदका कोई नुकसान ना हो।
7- Thirst Crow Moral Story in Hindi
गर्मियों के दिन थे। जंगल का सारा पानी सूख चुका था। सभी पक्षी पानी की तलाश में जंगल छोड़कर जा चुके थे, लेकिन एक कौवा पानी की तलाश में जंगल में ही रुक गया। जंगल में उसे खाने को तो मिल गया लेकिन उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।
पानी की तलाश में वह एक गांव की ओर उड़ गया। गांव में भी पानी की कमी थी, लेकिन इधर उधर तलाश करने के बाद उसे एक घर की छत पर पानी से आधी भरी हुई सुराही दिखाई दी।
सुराही का मुंह इतना छोटा था कि उसमें कौवे की चोंच तो चली जा रही थी लेकिन पानी आधा होने की वजह उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुंच पा रही थी। यह देखकर कौवा निराश हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
उसने धैर्य बनाए रखा और एक योजना बनाई। कौवा उड़कर गया और छोटे-छोटे कंकड़ उठा कर सुराही में डालने लगे। जैसे-जैसे कंकड़ सुराही में जमा होते गए, पानी धीरे धीरे ऊपर उठने लगा। कुछ ही देर बाद पानी सुराही के मुंह तक पहुंच गया, और कौवे ने चोंच डालकर पानी पिया और अपनी प्यास बुझा ली।
Moral of the Story
इस Moral story से हमें दो जरूरी बातें सीखने को मिलती हैं। पहली, “मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है,” और दूसरी, “जब भी हमारी जिंदगी में कोई कठिनाई आती है, तो उससे निपटने के लिए हमारा मन कोई ना कोई उपाय सोच ही लेता है। इसलिए तो कहते हैं आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है।”
8- चिड़िया का संघर्ष (मोरल स्टोरी)
जंगल में एक बार भयंकर बाढ़ आई। बाढ़ की वजह से जानवरों से उनके घर छिन गए। उसी बाढ़ में एक चिड़िया के अंडे बहकर एक छोटे तालाब में डूब गए।
चिड़िया ने तालाब से अपने अंडे वापस करने की विनती की, लेकिन तालाब ने उसकी विनती को अनसुना कर दिया।
चिड़िया बहुत हिम्मती थी, उसने हार मानने के बजाय तालाब को चेतावनी दी और कहा, “अगर तुमने मेरे अंडे वापस नहीं किए, तो मैं तुम्हारा सारा पानी सुखा दूंगी।”
चिड़िया की बात सुनकर तालाब उस पर हंसने लगा और उसने चिड़िया को वहां से चले जाने को कहा।
चिड़िया ने बिना समय बर्बाद किए अपनी चेतावनी पर काम करना शुरू कर दिया। वह अपनी चोंच में पानी भरकर तालाब से बाहर निकालने लगी। उसे ऐसा करते देख जंगल के अन्य पक्षी भी उसका मजाक उड़ाते लगे,
लेकिन चिड़िया की दृढ़ता और साहस को देखकर कुछ समय बाद वो भी उसकी मदद के लिए आगे आ गए। धीरे-धीरे, हजारों पक्षी तालाब के किनारे इकट्ठा हो गए और सबने मिलकर अपनी चोंच से पानी निकालना शुरू कर दिया।
इतने सारे पक्षियों को एक साथ ऐसा करता देख देखकर तालाब घबरा गया। उसे डर लगने लगा कि कहीं ये पक्षी मिलकर सचमुच उसे सूखा न दें और डर के मारे उसने चिड़िया के अंडे वापस कर दिए।
कहानी की सीख- मिलजुल कर काम करने से हर समस्या का समाधान निकल सकता है।
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9- दिये की रोशनी (Hindi Story with Moral Lesson)
एक बंद कमरे में तेल से भरा दीपक जला रहा था। कमरे में अंधेरा था तो उस दिए का प्रकाश चारों तरफ जगमगा रहा था। अपनी चमक को देखकर दिए को खुद पर बहुत गर्व होने लगा और वो धीरे धीरे अपनी रोशनी को और बढ़ाने लगा।
जैसे-जैसे दिया अपनी रोशनी बड़ा रहा था वैसे वैसे उसका गौरव भी बढ़ता जा रहा था। एक समय ऐसा आ गया जब दिया अपनी तुलना सूर्य से करने लग गया। उसे लगने लगा की उसकी रोशनी और चमक के आगे सूरज भी फीका है।
दिया ऐसा सोच ही रहा था की तभी एक तेज हवा का झोंका आया जिससे कमरे की खिड़की खुल गई और दिया बुझ गया।
फिर किसी ने माचिस से दीपक को फिर से जलाया और कहा, “तुम बस जलते रहो और सूरज के बारे में मत सोचे। सूर्य को रोशन करने के लिए फिर से जलाया नही जाता जैसे तुम अभी जलाए गए हो।”
मोरल स्टोरी से मिलने वाली सीख
आत्म-महत्व और गर्व से ज्यादा महत्वपूर्ण स्थिरता और निरंतरता है। आत्मसंतोष और वास्तविक मूल्य के बिना दिखावे से कोई फर्क नहीं पड़ता।
10- शरारती कुत्ता और उसकी घंटी (नैतिक कहानी)
यह कहानी एक कुत्ते की है जो अपने मालिक का बहुत वफादार था, लेकिन उसमें एक कमी थी—जब भी उसके मालिक के घर कोई मेहमान आता, वह कुत्ता चुपचाप पीछे से जाकर उन्हें काट लेता।
इस आदत के कारण लोगों ने उस घर में आना-जाना कम कर दिया। इससे परेशान होकर मालिक ने एक तरीका निकाला। उसने कुत्ते के गले में एक छोटी सी घंटी बांध दी, ताकि लोगों को कुत्ते के आने का पता चल सके और वे अपना बचाव कर सकें।
कुत्ता इस नई घंटी को पहनकर बहुत खुश हो गया। वह सारा दिन उस घंटी से खेलता रहता और उसे अपनी गले में बांधी गई घंटी पर बहुत गर्व होने लगा। कुत्ता सोचने लगा कि उसके मालिक ने उसकी वफादारी और योग्यता के सम्मान में उसे उपहार स्वरूप दी है।
कुछ समय बाद, एक बूढ़ा कुत्ता उस कुत्ते से मिलने आया। बातों बातों में उस कुत्ते ने घंटी वाली कहानी उस बूढ़े कुत्ते को बड़े गर्व से सुनाई। उसकी बातें सुनकर बूड़े कुत्ते ने कहा,
“दोस्त, तुम जितनी कम हवा में उड़ोगे, उतना ही तुम्हारे लिए अच्छा होगा। जिस घंटी को तुम अपनी वफादारी का पुरस्कार समझ रहे हो, वह असल में तुम्हारे गलत कामों का परिणाम है। यह तुम्हारी योग्यता का नहीं, बल्कि तुम्हारे अपमान और बेवकूफी का प्रतीक है।”
कहानी की सीख- कुछ लोग अपनी बदनामी को अक्सर अपनी प्रसिद्धि समझ लेते हैं।
11- लोमड़ी और कव्वे की कहानी
एक बार की बात है, एक लोमड़ी जंगल में खाने की तलाश में घूम रही थी। खाने की तलाश करते करते वो बहुत थक गई और आराम करने के लिए वो एक पेड़ के नीचे जाकर लेट गई।
थोड़ी देर बाद, उस पेड़ की डाल पर एक कौवा आकर बैठ गया। कौवे की चोंच में रोटियां दबी हुई थीं। लोमड़ी की नजर उस कव्वे पर पड़ी और उसने जब उन रोटियों को देखा, तो उसके मुंह में पानी आ गया। कौवा बहुत ऊंची डाल पर बैठा था, लोमड़ी वहां तक पहुंच नही सकती थी । वह सोचने लगी कि किस तरह कौवे से ये रोटियां हासिल की जाएं।
कुछ देर सोचने के बाद चतुर लोमड़ी ने एक तरकीब सोची और पेड़ की ओर देखते हुए जोर से बोली, “वाह! इस पेड़ की डाल पर कितना सुंदर पक्षी बैठा है। मैंने आज तक ऐसा अनोखा और आकर्षक पक्षी नहीं देखा। जिस पक्षी का शरीर इतना सुंदर है, उसकी आवाज भी निश्चित रूप से बहुत ही मीठी होगी। ऐसे पक्षी को तो सभी पक्षियों की रानी होना चाहिए।”
लोमड़ी की इस तारीफ को सुनकर कौवा खुश हो गया और अपनी मीठी आवाज सुनाने के लिए ज़ोर-ज़ोर से “कांव कांव” करने लगा। जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, उसकी चोंच से रोटियां नीचे गिर गईं। लोमड़ी तुरंत उन रोटियों पर झपटी और उन्हें लेकर वहां से भाग गई। बेचारा कौवा बस “कांव कांव” करता रह गया, और अपनी रोटियों से हाथ धो बैठा।
नैतिक कहानी की सीख- इस कहानी से हमें दो महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलती हैं। पहली, चालाक लोग अपनी बुद्धि से किसी भी स्थिति का फायदा उठा लेते हैं। दूसरी, झूठी तारीफ से आप किसी से भी अपना काम करवा सकते हैं।
12- कोयले का व्यापारी (Best Moral Story)
एक गांव में एक कोयला कारोबारी था। वह किराए के घर में रहता और वहीं से कोयले का काम करता। कोयले के काम की वजह से उसका घर हमेशा गंदा और धूल से भरा रहता था।
कुछ समय बाद, उसके पड़ोस वाले घर में एक धोबी आकर रहने लगा। वह धोबी पूरे गांव से कपड़े इकट्ठा करता और अपने घर पर ही धोने का काम करता था।
जब कोयला कारोबारी को इस बात का पता चला, तो वह धोबी के पास गया और बोला, “मैं भी तुम्हारी तरह घर से ही काम करता हूं, लेकिन अकेले होने की वजह से घर का खर्च और किराया बहुत ज्यादा हो जाता है। क्या तुम मेरे साथ रह सकते हो? इससे हम दोनों को फायदा होगा।”
धोबी ने उसकी बात सुनी और फिर गंभीरता से कहा, “श्रीमान, मैं इसके बारे में सोच भी नहीं सकता। इन कपड़ों को साफ करने में जो मेहनत लगती है, वह आपके कोयले के काम की वजह से थोड़ी ही देर में बेकार हो जाएगी।”
कहानी की सीख – हमें उन लोगों के साथ कभी नहीं रहना चाहिए जिनसे हमें या हमारे काम को किसी भी तरह का नुकसान हो सकता है।
13- लोमड़ी और बंदर की मोरल स्टोरी
एक बार एक लोमड़ी और बंदर जंगल में साथ-साथ घूम रहे थे। दोनों एक दूसरे को अपनी अपनी खूबियां गिनाने में लगे थे। बंदर अपनी खूबियों का बखान करता, तो लोमड़ी भी अपनी महानताएँ गिनाने लगती।
धीरे धीरे उनका यह खेल बहस में बदल गया और वो दोनो ये साबित करने में लग गए की उन दोनो में बेहतर कौन है। उनकी बहस काफी देर तक चलती रही, लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। आखिरकार दोनों चुप हो गए।
कुछ देर बाद, वे जंगल के एक ऐसे हिस्से में पहुंचे, जहाँ कई कब्रें थीं। उन कब्रों को देखकर बंदर ने चतुराई दिखाते हुवे कहा, “देखो, इन सभी कब्रों में मेरे पूर्वज दफन हैं, जिन्होंने अपने समय में बहुत महान काम किए थे। इससे पता चलता है कि बंदर ही सबसे बेहतर होते हैं।”
बंदर की इस झूठी कहानी को सुनकर लोमड़ी ने भी चालाकी से जवाब दिया, वो बोली, “आपकी इस बात पर यकीन करना ही पड़ेगा, क्योंकि आपके पूर्वजों में से कोई भी अब उठकर ये नहीं कह सकता कि आप कितना सच बोल रहे हैं।”
लोमड़ी की बात सुनकर बंदर का चेहरा उतर गया, और वह चुप हो गया।
कहानी की सीख – जब किसी को यह लगता है कि उनका झूठ कभी पकड़ा नहीं जाएगा, तो वे बड़ी-बड़ी ढींगें हांकना शुरू कर देते हैं।
14th out of 20 Moral Stories in Hindi
14- मोर और सारस
सुंदरवन के जंगल में एक सुनहरे पंखों वाला खूबसूरत मोर था। उस मोर के पंखे जंगल में सभी मोरों से ज्यादा सुंदर थे। जिसकी वजह से उसे अपने खूबसूरत पंखों पर बहुत घमंड था।
वो हर किसी के सामने अपने पंखों की तारीफ करता रहता। एक दिन उस मोर की नजर एक सारस पर पड़ी।
सरस के पंख देखकर मोर उसपर हंसने लगा और दूर से बोला, “तुम्हारे पंख कितने छोटे और रंगहीन है। मेरे शानदार पंखों को देखो, कितने बड़े और रंगबिरंगे हैं। तुम तो बड़े ही नीरस से दिखते हो।”
मोर की बात सुनकर सारस बोला, “तुम्हारे रंग बिरंगे पंखों का जवाब नही ये दिखने में बेहद सुंदर हैं लेकिन जब बात उड़ने की आती है तो तुम्हारे पंख किसी काम के नही हैं। अपने पंखों की मदद से मैं बादलों को चीरता हुवा आगे बड़ जाता हूं और तुम अपने इन पंखों की वजह से बस एक मुर्गे जीतना ऊंचा उड़ पाते हो।”
सारस की बात सुनकर मोर के होश ठिकाने आ गए और वो वहां से चला गया।
कहानी की सीख – इस संसार में हर किसी के पास कुछ ना कुछ काबिलियत है इसलिए दूसरे के बारे में जाने बिना कभी अपने गुणगान ना करें।